अग्निसार क्रिया से निम्न में से कौन से चक्र का जागरण होता है

📘 प्रस्तावना:

अग्निसार क्रिया से निम्न में से कौन से चक्र का जागरण होता है, योग शास्त्र में विभिन्न प्राणायाम और शुद्धिकरण क्रियाएँ वर्णित हैं, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि आध्यात्मिक जागरण में भी सहायक होती हैं।
अग्निसार क्रिया इन्हीं शक्तिशाली क्रियाओं में से एक है, जो हमारे शरीर के भीतर स्थित ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को सक्रिय करती है।

👉 प्रश्न:

अग्निसार क्रिया से किस चक्र का जागरण होता है?
उत्तर: अग्निसार क्रिया से मणिपुर चक्र (Manipura Chakra) का जागरण होता है।

🔴 मणिपुर चक्र क्या है?

  • मणिपुर चक्र शरीर का तीसरा चक्र है, जो नाभि के ठीक पीछे स्थित होता है।

  • इसे “सौर ऊर्जा केंद्र” या “पाचन शक्ति का चक्र” भी कहा जाता है।

  • इसका संबंध आत्मबल, आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति और पाचन अग्नि से होता है।

गुण विवरण
स्थान नाभि क्षेत्र
तत्व अग्नि (Fire)
रंग पीला
बीज मंत्र “राम”
प्रभाव आत्मबल, निर्णय क्षमता, पाचन शक्ति

🔥 अग्निसार क्रिया से निम्न में से कौन से चक्र का जागरण होता है

अग्निसार का शाब्दिक अर्थ है — “अग्नि को उत्तेजित करना”
यह क्रिया पेट के अंदर और बाहर की गति से की जाती है, जिससे नाभि क्षेत्र की ऊर्जा सक्रिय होती है।

📌 प्रक्रिया:

  1. सीधे खड़े होकर या वज्रासन में बैठकर लंबी सांस छोड़ें।

  2. सांस रोके रखें और पेट को तेज़ी से अंदर-बाहर खींचें।

  3. इसे 10–15 बार दोहराएं।

सावधानी: यह क्रिया खाली पेट और किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करनी चाहिए।

🌟 अग्निसार क्रिया के लाभ:

  • मणिपुर चक्र का जागरण

  • पाचन शक्ति में वृद्धि

  • गैस, कब्ज और अपच से राहत

  • इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी

  • पेट की चर्बी कम करने में सहायक

📝 निष्कर्ष:

अग्निसार क्रिया, प्राचीन योग विज्ञान की एक प्रभावशाली विधि है जो शरीर के अग्नि तत्व को संतुलित करके मणिपुर चक्र को जाग्रत करती है।
यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि आपके भीतर की शक्ति को भी प्रज्वलित करती है।

“जब मणिपुर चक्र जाग्रत होता है, तो व्यक्ति में आत्मविश्वास, साहस और निर्णय लेने की शक्ति जाग जाती है।”

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