गीत के बोल
(राग आधारित, शुद्ध हिंदी)
(अंतरा 1)
अर्जुन सुन गीता का ज्ञान,
धर्म युद्ध का आया प्रमाण।
कर्म की राह दिखाए कृष्ण,
बने जीवन का वो अरमान॥
(अंतरा 2)
रथ के मध्य खड़ा वीर,
हाथ में गांडीव गभीर।
लेकिन मन में संशय भारी,
दुख की छाया, दृष्टि अधूरी॥
(अंतरा 3)
कृष्ण कहे – हे पार्थ सुनो,
मोह त्यागो, कर्तव्य चुनो।
कर्म करो पर फल न चाहो,
सत्य के पथ पर दृढ़ बनो॥
(अंतरा 4)
आत्मा न मरती, न जन्मती,
शाश्वत, अजर, अमर कहाती।
जो जन्मा है वो जाएगा,
पर आत्मा न खो जाएगी॥
(अंतरा 5)
अर्जुन बोले: मोह गया अब,
ज्ञान का दीप जलाया तब।
तेरी वाणी अमृत समानी,
मैं करूंगा तेरी वाणी का मान॥
(अंतरा 6 – समापन)
गूँजे आज भी कुरुक्षेत्र में,
वो गीता का अनुपम ज्ञान।
जीवन पथ के हर मोड़ पर,
कृष्ण बने आत्मा की जान॥
🎶 सुझावित ट्यून/धुन के लिए:
यह गीत राग “यमन” या “भैरव” में गाया जा सकता है, शांत और ध्यानपूर्ण लय में।
संगीत संयोजन में तबला, सितार, बांसुरी आदि भारतीय वाद्य यंत्रों का प्रयोग इसे भावपूर्ण बना सकता है।