किस मुगल चित्रकार ने भारतीय देवी-देवताओं का चित्रण किया?

परिचय:
मुगल काल भारतीय कला और संस्कृति का एक अद्वितीय युग था। जबकि मुग़ल साम्राज्य इस्लामी परंपराओं से प्रेरित था, इसके चित्रकला विभाग में कुछ कलाकारों ने भारतीय संस्कृति और देवी-देवताओं के चित्रण की दिशा में भी साहसिक कार्य किए।
इस लेख में हम जानेंगे — किस मुगल चित्रकार ने हिंदू देवी-देवताओं का चित्रण किया, उसके कारण और उसका ऐतिहासिक महत्त्व।

🖌️ कौन था वह चित्रकार?

बासावन (Basawan) — मुग़ल चित्रकला में सबसे प्रमुख नामों में से एक।
बासावन ने न केवल फारसी ग्रंथों और इस्लामी विषयों पर चित्र बनाए, बल्कि भारतीय देवी-देवताओं, रामायण और महाभारत जैसे हिंदू धार्मिक ग्रंथों से भी प्रेरणा लेकर चित्र बनाए।

✅ अन्य चित्रकार जिन्होंने यह कार्य किया:

  • केशवदास

  • मनुहर

  • गोवर्धन

  • संसारमल

ये सभी कलाकार अकबर के काल में फले-फूले जब दीन-ए-इलाही जैसी उदार सोच ने कला को नई दिशा दी।

🏛️ बासावन का योगदान:

  • बासावन अकबर के दरबार के प्रमुख चित्रकार थे।

  • उन्होंने हिंदू ग्रंथों के आधार पर देवी-देवताओं, विशेषकर विष्णु, शिव, पार्वती, दुर्गा आदि के चित्र बनाए।

  • बासावन के चित्रों में भारतीय रंग योजना, भावनात्मक अभिव्यक्ति और सजीवता स्पष्ट देखी जा सकती है।

  • उन्होंने रामायण और महाभारत के अनेक प्रसंगों को चित्रित किया।

🎯 विशेष चित्रण:

  • शिव-पार्वती का पारिवारिक चित्र

  • कृष्ण लीला के प्रसंग

  • राम का वनवास और युद्ध दृश्य

🕌 मुग़ल सम्राटों की भूमिका:

🔸 अकबर:

  • अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहन दिया।

  • उन्होंने चित्रकारों को हिंदू धर्म ग्रंथों और पौराणिक कथाओं पर आधारित चित्र बनाने की स्वतंत्रता दी।

  • फतेहपुर सीकरी और आगरा में कई पेंटिंग्स देवी-देवताओं से संबंधित हैं।

🔸 जहांगीर और शाहजहाँ:

  • जहाँगीर ने भी चित्रकला को बढ़ावा दिया, लेकिन धार्मिक विषयों में थोड़ी सीमा रही।

  • फिर भी उनके काल में भारतीयता का प्रभाव चित्रकला में बना रहा।

🖼️ देवी-देवताओं के चित्रण की विशेषताएं

  1. भावों की स्पष्टता – चेहरों पर शांति और दिव्यता

  2. भारतीय परिधान और आभूषण – पूरी पारंपरिक शैली

  3. प्राकृतिक रंगों का प्रयोग – केसरिया, नीला, हरा जैसे प्रतीकात्मक रंग

  4. समीकरण – मानव और दैवीय गुणों का संतुलन

✨ निष्कर्ष:

हालाँकि मुग़ल काल इस्लामी शासन का प्रतीक था, परंतु अकबर जैसे शासकों और बासावन जैसे चित्रकारों ने भारतीय संस्कृति को भी अपनाया और चित्रों के माध्यम से धर्मनिरपेक्षता और समन्वय का संदेश दिया।

बासावन जैसे कलाकारों ने रंगों के माध्यम से धर्मों के बीच की दूरी मिटाई और भारत की विविधता को एकता में बदला।

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