📅 हरियाली तीज 2025 कब है?
Hariyali Teej हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व खासतौर पर कन्याओं और विवाहित महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए मनाया जाता है।
👉 हरियाली तीज 2025 की तिथि: 5 अगस्त 2025, मंगलवार
🌸 हरियाली तीज का धार्मिक महत्व
हरियाली तीज विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के सौभाग्य, पति की दीर्घायु, और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाई जाती है। यह पर्व सावन की हरियाली के बीच आने के कारण ‘हरियाली तीज’ कहलाता है।
इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया था, और अंततः उन्हें शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
📖 हरियाली तीज व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार:
- माता पार्वती ने 108 जन्मों तक तपस्या की थी ताकि उन्हें शिवजी पति रूप में प्राप्त हों।
- हर जन्म में उन्होंने कठोर व्रत और तप किया।
- अंततः 108वें जन्म में, जब उन्होंने एक बालिका रूप में शिवजी की मूर्ति बनाकर पूजा की, तब भगवान शिव प्रसन्न हुए।
- उन्होंने माता पार्वती को स्वीकार किया और इस दिन को पार्वती-शिव मिलन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
🌿 Hariyali Teej की व्रत विधि
🌄 व्रत की तैयारी
- एक दिन पहले रात को सात्विक भोजन करें
- व्रत का संकल्प लें
- प्रातःकाल स्नान कर नई हरी साड़ी, चूड़ियां, बिंदी, मेंहदी धारण करें
🕉️ पूजन सामग्री
- मिट्टी की शिव-पार्वती प्रतिमा
- बेलपत्र, दूर्वा, धतूरा, फल, मिठाई
- घी का दीपक, कुमकुम, अक्षत, फूल
- पूजा थाली, जल कलश
🪔 पूजन विधि
- व्रती महिला निर्जल व्रत रखे
- शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
- रोली, अक्षत, पुष्प, बेलपत्र अर्पित करें
- तीज माता की कथा सुनें और आरती करें
- रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करें
💚 हरियाली तीज की परंपराएं और रीति-रिवाज
- झूला झूलना: महिलाएं पीपल या नीम के पेड़ों पर झूले डालती हैं और लोकगीत गाती हैं
- मेंहदी लगाना: सौभाग्य की प्रतीक होती है
- सिंगार: विवाहित महिलाएं पूरा सोलह श्रृंगार करती हैं
- गीत-संगीत: पारंपरिक लोकगीतों से वातावरण भक्तिमय हो जाता है
- सुहाग सामग्री का दान: कुमारी कन्याओं या सुहागिनों को वस्त्र व श्रृंगार सामग्री दी जाती है
🌼 तीज का महत्त्व सौभाग्य और प्रेम के लिए
हरियाली तीज महिलाओं के लिए विशेष पर्व है क्योंकि:
- यह पति-पत्नी के प्रेम को प्रगाढ़ करता है
- संतान सुख के लिए लाभकारी माना जाता है
- वैवाहिक जीवन की बाधाओं को दूर करता है
- यह स्त्रियों को सामाजिक और धार्मिक शक्ति प्रदान करता है
📍 भारत में हरियाली तीज की धूम
यह पर्व मुख्यतः उत्तर भारत के राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है:
राज्य | प्रमुख आयोजन स्थल |
---|---|
राजस्थान | जयपुर, कोटा, बीकानेर |
उत्तर प्रदेश | लखनऊ, वाराणसी, कानपुर |
बिहार | पटना, गया |
मध्य प्रदेश | ग्वालियर, उज्जैन |
दिल्ली | मंदिरों और समाजिक सभाओं में आयोजन |
जयपुर की तीज यात्रा पूरे भारत में प्रसिद्ध है, जिसमें सजे हुए रथों में माता पार्वती की मूर्ति की झांकी निकाली जाती है।
🍱 तीज व्रत में क्या खाएं?
व्रत में दिनभर निर्जल रहने का संकल्प लिया जाता है। अगले दिन व्रत खोलने पर कुछ विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं:
- घेवर
- खीर
- पूरी-सब्जी
- गुड़-सेवई
- फल व मिठाई
🙋♀️ FAQs: हरियाली तीज से जुड़े सामान्य प्रश्न
❓ हरियाली तीज कब मनाई जाती है?
सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है।
❓ क्या यह व्रत विवाहित और कुंवारी दोनों रख सकती हैं?
हां, विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं।
❓ क्या इस दिन निर्जल व्रत आवश्यक है?
मान्यता अनुसार व्रत निर्जल रखा जाता है, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से जल ग्रहण किया जा सकता है।
❓ क्या तीज की कथा सुनना अनिवार्य है?
हां, व्रत को पूर्ण फल देने के लिए तीज व्रत कथा का श्रवण आवश्यक होता है।
❓ क्या हरियाली तीज और कजरी तीज एक हैं?
नहीं, हरियाली तीज सावन में आती है, जबकि कजरी तीज भाद्रपद मास में मनाई जाती है।
🌺 निष्कर्ष: हरियाली तीज का आध्यात्मिक संदेश
हरियाली तीज केवल एक व्रत नहीं, बल्कि नारी शक्ति, श्रद्धा और प्रेम का उत्सव है। यह पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने, रिश्तों की अहमियत समझने और भक्ति भाव से जीने की प्रेरणा देता है।
“हरियाली तीज हमें बताती है कि जैसे हरियाली जीवन में रंग भरती है, वैसे ही श्रद्धा और भक्ति जीवन को सुखमय बनाती है।”
Hariyali Teej नारी सशक्तिकरण, भक्ति और पारिवारिक समर्पण का उत्सव है। यह पर्व केवल सौंदर्य और सजावट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रेम, आस्था और संस्कृति को संजोने का प्रतीक है। जैसे एक god idol घर में सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता का संचार करता है, वैसे ही हरियाली तीज स्त्रियों के जीवन में नवचेतना, सौभाग्य और आध्यात्मिक बल लाता है। इस पावन अवसर पर व्रत और पूजा के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करें और दांपत्य जीवन में सुख-शांति का आह्वान करें।