कौन सा संप्रदाय भगवान विष्णु और उनके अवतारों की भक्ति में विश्वास करता है?

हिंदू धर्म में ईश्वर को त्रिमूर्ति के रूप में जाना जाता है—ब्रह्मा (सृष्टि), विष्णु (पालन) और महेश/शिव (संहार)। इनमें भगवान विष्णु को पालक माना गया है, जो संसार की रक्षा के लिए समय-समय पर विभिन्न रूपों में अवतरित होते हैं। भगवान विष्णु और उनके अवतारों की उपासना करने वाले अनुयायियों का जो प्रमुख धार्मिक समूह […]

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कौन सा संप्रदाय भगवान विष्णु और उनके अवतारों की भक्ति में विश्वास करता है?

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। वे त्रिदेवों में से एक हैं — ब्रह्मा (सृजन), विष्णु (पालन) और शिव (संहार)। भगवान विष्णु के अनेक अवतारों, विशेषकर राम और कृष्ण, की भक्ति ने भारतीय धार्मिक चेतना को गहराई से प्रभावित किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं

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निर्गुण भक्ति साहित्य की वैचारिक पृष्ठभूमि तथा प्रमुख संत कवि और उनके योगदान का उल्लेख

निर्गुण भक्ति आंदोलन भारतीय साहित्य और समाज के इतिहास में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक है। यह आंदोलन 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच विशेष रूप से उत्तर भारत में विकसित हुआ और इसका प्रमुख उद्देश्य था — ईश्वर को निर्गुण (रूपहीन, निराकार) मानकर उसकी उपासना करना। आइए जानते हैं इस साहित्य की वैचारिक पृष्ठभूमि,

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भगवान शिव ने कैसे रोका मां काली का रास्ता?

भारतीय पौराणिक कथाएं देवी-देवताओं की लीला, शक्ति और भक्ति से भरी हुई हैं। इन्हीं कथाओं में एक प्रसिद्ध प्रसंग है — “जब मां काली का क्रोध चरम पर था और संहार करने के लिए वे अग्रसर थीं, तब भगवान शिव ने उनका रास्ता कैसे रोका?” यह कथा केवल पौराणिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संकेतों और मानव

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अक्कमहादेवी भगवान की अनन्य उपासिका थीं – विष्णु, कृष्ण, शिव या राम?

भारत की आध्यात्मिक परंपरा में कई संत, भक्त और योगिनी हुई हैं, जिन्होंने ईश्वर को पाने के लिए संसार की सभी सीमाओं को पार कर दिया। उन्हीं में से एक थीं — अक्कमहादेवी।वे दक्षिण भारत की एक महान संत, कवियित्री और वीरशैव भक्ति आंदोलन की अग्रणी साधिका थीं। अब प्रश्न यह उठता है कि —“अक्कमहादेवी

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भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को किस भूमि में खड़े होकर गीता का ज्ञान दिया था?

श्रीमद्भगवद्गीता न केवल हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन का आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने वाला एक सार्वकालिक संदेश भी है।इस दिव्य ग्रंथ का उपदेश स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अपने परम सखा अर्जुन को दिया था। लेकिन यह गूढ़ ज्ञान कहाँ दिया गया था? यह प्रश्न अक्सर श्रद्धालुओं और अध्यात्म में रुचि

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धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने कितने अवतार लिए थे?

भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ और नीलकंठ जैसे नामों से जाना जाता है, त्रिदेवों में से एक हैं और सृष्टि के संहारकर्ता माने जाते हैं। वे केवल एक देव नहीं, बल्कि अधिकार, तप, तांडव, करुणा और गहन रहस्य का प्रतीक हैं।जहाँ भगवान विष्णु के दस अवतारों का विस्तृत विवरण मिलता है, वहीं बहुत से लोग

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सोमवार को भगवान शिव की पूजा में क्या चढ़ाना शुभ होता है?

भगवान शिव को हिन्दू धर्म में “भोलेनाथ”, “महादेव”, और “त्रयंबकेश्वर” जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। वे सरलता से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं, और सोमवार का दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और शिवलिंग पर विविध पूजन

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भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप का वर्णन गीता के किस अध्याय में आता है?

श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और दिव्य ग्रंथ है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र युद्ध भूमि में उपदेश दिया था।इस ग्रंथ के प्रत्येक अध्याय में जीवन के गूढ़ रहस्य और धर्म का मर्म छिपा है।लेकिन सबसे अद्भुत और रहस्यमयी दृश्य तब आता है जब श्रीकृष्ण अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाते

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विश्वकर्मा भगवान की पूजा कैसे करें? – संपूर्ण पूजा विधि और महत्व

भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के पहले इंजीनियर, वास्तुकार और शिल्पशास्त्र के अधिष्ठाता देवता माना जाता है।इनकी पूजा विशेष रूप से विश्वकर्मा जयंती (अश्विन मास के कन्या संक्रांति के दिन) और कई स्थानों पर 17 सितंबर को की जाती है।विश्वकर्मा पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होती है जो मशीन, औज़ार, निर्माण कार्य,

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