निर्गुण भक्ति साहित्य की वैचारिक पृष्ठभूमि तथा प्रमुख संत कवि और उनके योगदान का उल्लेख
निर्गुण भक्ति आंदोलन भारतीय साहित्य और समाज के इतिहास में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक है। यह आंदोलन 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच विशेष रूप से उत्तर भारत में विकसित हुआ और इसका प्रमुख उद्देश्य था — ईश्वर को निर्गुण (रूपहीन, निराकार) मानकर उसकी उपासना करना। आइए जानते हैं इस साहित्य की वैचारिक पृष्ठभूमि, […]
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