भारतीय पौराणिक कथाएं देवी-देवताओं की लीला, शक्ति और भक्ति से भरी हुई हैं। इन्हीं कथाओं में एक प्रसिद्ध प्रसंग है — “जब मां काली का क्रोध चरम पर था और संहार करने के लिए वे अग्रसर थीं, तब भगवान शिव ने उनका रास्ता कैसे रोका?”
यह कथा केवल पौराणिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संकेतों और मानव जीवन के लिए एक गहरी सीख भी है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह घटना क्या थी, क्यों हुई, और भगवान शिव ने मां काली को कैसे शांत किया।
🔥 मां काली का प्रचंड रूप
कहा जाता है कि एक बार असुर रक्तबीज ने पृथ्वी, देवताओं और ऋषियों पर अत्याचार बढ़ा दिए थे। उसकी विशेषता थी कि उसके रक्त की हर एक बूंद से एक नया रक्तबीज उत्पन्न हो जाता था। कोई भी देवता उसे मार नहीं पा रहा था।
तब मां दुर्गा ने काली रूप धारण किया — अत्यंत विकराल, उग्र और संहारकारी।
मां काली ने युद्ध में रक्तबीज का वध तो कर दिया, लेकिन उनका क्रोध इतना भयानक था कि वे अपने ही पराक्रम की अग्नि में पूरे संसार को भस्म करने लगीं। उनके क्रोध की तीव्रता इतनी अधिक थी कि कोई भी उन्हें रोक नहीं पा रहा था।
🕉️ भगवान शिव का मार्ग रोकना
जब मां काली संहार के नशे में चूर होकर आगे बढ़ रही थीं, और समस्त सृष्टि संकट में आ गई थी — तब देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे कुछ करें।
भगवान शिव ने कोई युद्ध नहीं किया, उन्होंने कोई अस्त्र नहीं उठाया। उन्होंने किया केवल एक मौन लेकिन अत्यंत शक्तिशाली कार्य:
👉 वे मां काली के मार्ग में लेट गए।
जैसे ही मां काली आगे बढ़ीं, उन्होंने भगवान शिव के शरीर पर पांव रख दिया। तभी उन्हें चेत हुआ कि वे क्या कर रही हैं।
🌺 मां काली का क्रोध शांत हुआ
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जैसे ही मां काली ने भगवान शिव के सीने पर पांव रखा, उनका अहंकार और रौद्र रूप तिरोहित हो गया।
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उन्हें यह बोध हुआ कि वे अपने ही आराध्य, शिवजी पर पांव रख रही हैं।
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वे तुरंत शर्म और करुणा से भर गईं।
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उनका मुखमंडल शांत हो गया, उनकी जिह्वा बाहर निकल आई — जो कि आज भी मां काली की मूर्तियों में दिखती है।
यह दृश्य केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि क्रोध और विनाश को केवल करुणा, प्रेम और आत्मबोध से रोका जा सकता है।
🧘 आध्यात्मिक संकेत
इस कथा का गहरा आध्यात्मिक अर्थ है:
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मां काली शक्ति का प्रतीक हैं।
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भगवान शिव शांति, धैर्य और चेतना का प्रतीक हैं।
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जब शक्ति अहंकार में डूब जाती है, तब वह विनाश करती है।
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लेकिन जब उसे चेतना का स्पर्श मिलता है, वह फिर से मातृत्व और सृजन की शक्ति बन जाती है।
📌 निष्कर्ष
भगवान शिव ने मां काली का रास्ता उनके पथ में लेट कर रोका।
यह कार्य शक्ति और शिव के गहरे संबंध को दर्शाता है —
जहाँ शक्ति बिना शिव के अंधी हो जाती है, वहीं शिव बिना शक्ति के निष्क्रिय।
यह प्रसंग केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और संतुलन की सीख भी देता है।