🔰 परिचय: संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?
भारत की संविधान सभा (Constituent Assembly of India) ने 9 दिसंबर 1946 से 24 जनवरी 1950 तक नए भारत के संविधान का निर्माण किया। अक्सर पूछा जाता है कि “संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?” इस लेख में हम जानेंगे:
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संविधान सभा की प्रारंभिक सदस्य संख्या
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प्रांतों एवं रियासतों से आये सदस्यों का विभाजन
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विभाजन के बाद सदस्य संख्या में आया परिवर्तन
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प्रमुख कार्यकारी समितियाँ और उनके सदस्यों का विवरण
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
📊 संविधान सभा की प्रारंभिक सदस्य संख्या
स्त्रोत | सदस्य संख्या | विवरण |
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कुल प्रतिनिधि | 389 | 296 प्रांतों से + 93 रियासतों से नियुक्त |
प्रांतों के सदस्य | 296 | ब्रिटिश राज के अठारह मुख्य प्रांतों से |
रियासतों के सदस्य | 93 | लगभग 565 रियासतों में से जो संख्या तय हुई |
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296 सदस्य ब्रिटिश-शासित भारतीय प्रांतों से चुने गए थे।
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93 सदस्य भारतीय रियासतों (प्रिंसली स्टेट्स) द्वारा नामित किए गए थे।
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कुल 389 सदस्यों में से 292 भारतीय और 97 मुस्लिम* प्रतिनिधि थे।
*ये विभाजन केवल साम्प्रदायिक संतुलन दिखाता है, व्यक्तिगत नामांकन आधिकारिक दस्तावेज़ों में देखे जा सकते हैं।
🔄 संविधान सभा में सदस्य संख्या में बदलाव (विभाजन के बाद)
भारत के विभाजन (15 अगस्त 1947) के पश्चात्:
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पूर्वी पाकिस्तान (बंगाल) और पश्चिमी पाकिस्तान (पंजाब) के सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।
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विभाजन से पहले कुल 389 सदस्य थे; विभाजन के बाद 295–299 के बीच सदस्य सक्रिय रहे।
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इसके बाद भारतीय संविधान सभा में स्थायी रूप से लगभग 299 सदस्य रहे, जिसमें मुख्यतः भारत के नवगठित प्रांतों और राज्यों के प्रतिनिधि थे।
चरण | कुल सदस्य |
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प्रारंभिक (1946) | 389 |
विभाजन के बाद | ~ 299 |
⚙️ प्रमुख समितियाँ और उनकी सदस्यता
संविधान सभा ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया को संगठित करने हेतु केन्द्रीय समितियाँ बनाईं, जिनमें सदस्यों की संख्या इस प्रकार थी:
समिति का नाम | सदस्यों की संख्या | प्रमुख सदस्य |
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मूल मसौदा समिति | 7 | डॉ. बी. आर. ам्बेडकर (अध्यक्ष), जवाहर लाल नेहरु |
प्रस्तावना समिति | 7 | जवाहर लाल नेहरु (अध्यक्ष) |
लिखित समिति | 22 | जवाहर लाल नेहरु (अध्यक्ष), डॉ. एस. राधाकृष्णन |
धार्मिक एवं अल्पसंख्यक अधिकार समिति | 15 | डॉ. बी. आर.ambेडकर, मौलाना आजाद |
संघ और राज्यों | 12 | सरदार वल्लभभाई पटेल (सदस्य) |
त्वरित कार्यवाही (Urgency) | 7 | सरदार पटेल, श्री लालबहादुर शास्त्री |
🗓️ संविधान सभा की प्रमुख घटनाएँ
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9 दिसंबर 1946: संविधान सभा की पहली बैठक, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (सभापति) चुने गए।
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29 अगस्त 1947: विभाजन के बाद पुनर्गठन; पाकिस्तान हिस्से के सदस्यों का त्याग।
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22 जनवरी 1950: अंतिम रूप से संविधान स्वीकृत।
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26 जनवरी 1950: भारतीय संविधान लागू, संविधान सभा स्वतः समाप्त।
📝 संविधान सभा सदस्य चयन का तरीका
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प्रांतों से निर्वाचन: प्रत्येक प्रांत की विधानसभा ने प्रोपोर्शनल रिप्रेज़ेंटेशन के तहत निर्वाचित किया।
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रियासतों द्वारा नामांकन: रियासतों के राजाओं ने अपनी पसंद के प्रतिनिधि भेजे।
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संविधान सभा में महिलाएँ: प्रारंभ में लगभग 15–16 महिला सदस्यों ने भाग लिया।
🧑⚖️ कुछ उल्लेखनीय सदस्य
सदस्य का नाम | प्रांत/रियासत | भूमिका |
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डॉ. भीमराव अंबेडकर | ब्रिटिश महाराष्ट्र | मूल मसौदा समिति के अध्यक्ष |
जवाहर लाल नेहरू | उत्तरी-पश्चिम भारत | प्रस्तावना समिति अध्यक्ष |
सरदार वल्लभभाई पटेल | बंबई प्रांत | संघ–राज्य समिति सदस्य |
मौलाना आजाद | मौलाना प्रांत | धार्मिक अधिकार समिति सदस्य |
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद | बिहार प्रांत | संविधान सभा के सभापति |
दलित महिला प्रतिनिधि | रियासत | अल्पसंख्यक अधिकार समिति सदस्य |
🙋♂️ FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?
संविधान सभा की प्रारंभिक संख्या 389 थी (296 प्रांतों से + 93 रियासतों से)। विभाजन के बाद सक्रिय सदस्य लगभग 299 रहे।
Q2. संविधान सभा का पहला अध्यक्ष कौन था?
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को दिसंबर 1946 में संविधान सभा का प्रथम सभापति चुना गया।
Q3. संविधान सभा कितने समय तक सक्रिय रही?
पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को और अंतिम 24 जनवरी 1950 को हुई।
Q4. रियासतों के सदस्यों का चुनाव कैसे हुआ?
रियासतों के शासकों ने स्वयं नामनिर्देशित प्रतिनिधियों को भेजा, चुनाव द्वारा नहीं।
Q5. क्या सभी प्रारंभिक 389 सदस्य रहे किन्तु विभाजन में छंट गए?
हाँ, विभाजन के पश्चात् पाकिस्तान में जाने वाले सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया, जिससे संख्या 389 से घटकर करीब 299 हो गई।
🔚 निष्कर्ष
“संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे” यह जानना न केवल संख्या का विषय है, बल्कि उस विविध प्रतिनिधित्व और दृष्टिकोण का प्रतीक भी है, जिसने भारतीय संविधान को लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समावेशी, और अनुच्छेदों द्वारा सुदृढ़ बनाया। 389 प्रारंभिक सदस्यों में से लगभग 299 ने विभाजन के बाद “नए भारत” के संविधान का मार्ग प्रशस्त किया।