सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है, केवल एक धार्मिक व्यवस्था नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है। यह धर्म हजारों वर्षों से चला आ रहा है और इसकी जड़ें वेदों, उपनिषदों और पुराणों में गहराई से समाई हुई हैं। जब हम यह प्रश्न करते हैं — “सनातन धर्म का मूल मंत्र क्या है?”, तो इसका उत्तर केवल एक वाक्य या शब्द में नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह धर्म अनेक मंत्रों, सिद्धांतों और मूल्यों पर आधारित है। फिर भी कुछ मंत्र और विचार ऐसे हैं जो इस धर्म की आत्मा को दर्शाते हैं।
🕉️ 1. सनातन धर्म का प्रमुख मूल मंत्र: “ॐ (ओम्)”
📌 अर्थ:
ॐ (ओम्) को ब्रह्मांड की मूल ध्वनि कहा गया है। यह परब्रह्म का प्रतीक है — वह चेतना जिससे सृष्टि की उत्पत्ति हुई।
📌 महत्व:
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यह वेदों का पहला और प्रमुख बीज मंत्र है।
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ओम् का उच्चारण करने से मानसिक शांति, एकाग्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
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योग और ध्यान की सभी विधियों में इसका उच्चारण किया जाता है।
👉 इसलिए कहा जा सकता है कि “ॐ” ही है।
🧘♂️ 2. उपनिषदों का ज्ञानसूत्र: “अहिंसा परमो धर्मः”
📌 अर्थ:
“अहिंसा परम धर्म है” — अर्थात किसी भी प्राणी को कष्ट न पहुँचाना ही सबसे बड़ा धर्म है।
📌 यह मंत्र क्या सिखाता है?
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करुणा, दया, सह-अस्तित्व
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सभी जीवों में आत्मा की समानता
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नैतिक और शांतिपूर्ण जीवन
👉 यह मंत्र महात्मा गांधी के जीवन और सनातन धर्म की मूल भावना का सार है।
📖 3. गीता का मूल ज्ञान: “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”
(श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 2, श्लोक 47)
📌 अर्थ:
“तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फलों में नहीं।”
📌 विशेषता:
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यह गीता का मूल सिद्धांत है
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सनातन धर्म कर्म के सिद्धांत पर आधारित है
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यह आत्म-निर्भरता, निःस्वार्थ सेवा और कर्तव्य बोध सिखाता है
👉 यह मंत्र आधुनिक जीवन में भी उतना ही उपयोगी है जितना हजारों वर्ष पहले था।
🌍 4. वसुधैव कुटुम्बकम् – “संपूर्ण विश्व एक परिवार है”
📌 स्रोत:
महाउपनिषद
📌 अर्थ और भाव:
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सम्पूर्ण मानवता एक ही परिवार है
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जाति, धर्म, रंग, भाषा आदि से ऊपर उठकर सभी को अपनाना
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विश्व शांति और सह-अस्तित्व की भावना
👉 यह मंत्र सनातन धर्म के सार्वभौमिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
🧭 निष्कर्ष:
सनातन धर्म का मूल मंत्र केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण जीवन दर्शन है। फिर भी यदि एक सार निकालें, तो —
✨ “ॐ” वह मूल मंत्र है जो सृष्टि की उत्पत्ति, जीवन की गति और मोक्ष की दिशा सब कुछ में विद्यमान है।
🕉️ गीता का कर्म सिद्धांत, उपनिषदों का अहिंसा भाव, और “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना — यही सनातन धर्म की आत्मा है।